मंदिर परिसर में सजी जीवराज नाई की तस्वीर पर लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। दो मिनट का मौन रखा गया, जिसमें हर आंख नम थी और हर दिल में उस नेता के प्रति सम्मान की भावना उमड़ रही थी, जिसने अपने जीवन में समाज के लिए बहुत कुछ किया।
सैन समाज के अध्यक्ष ओमप्रकाश फुलभाटी ने अपने संबोधन में जीवराज नाई के राजनीतिक जीवन के उन अनछुए पहलुओं को उजागर किया, जो आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। उन्होंने उस दौर की राजनीति के कुछ ऐसे प्रसंगों का स्मरण किया, जो जीवराज नाई की दूरदर्शिता और जनसेवा के प्रति उनके समर्पण को दर्शाते हैं।
इस अवसर पर भाजपा के देहात जिला मंत्री भरत सुथार, भारतीय सैन समाज के प्रदेशाध्यक्ष श्रवणकुमार फुलभाटी, आशीष जाड़ीवाल, एडवोकेट मनोज सिंहराजभाटी और भंवरलाल गहलोत जैसे कई प्रमुख व्यक्तियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। नगरपालिका पार्षद सोहनलाल ओझा, संदीप मारू और कन्हैयालाल गहलोत सहित कई अन्य पार्षदों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम में मोहनलाल टोकसिया, रतनलाल दुगड़, हड़मान दुगड़, किशनलाल दर्जी, अजय दर्जी, छगन गहलोत, फुसाराम गौड़, जगदीश धांधल, शिवरत्न गहलोत, प्रशांत जाड़ीवाल, दीपांशु, महेंद्र गोला, मोनु मोरवानी, प्रकाश पुजारी, पवन कुमार गिला, नितिन जाड़ीवाल, पूर्णमल स्वामी, करण जाड़ीवाल और बाबूलाल टोकसिया जैसे युवा और सैन समाज के कई सदस्य शामिल हुए।
जीवराज नाई अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें आज भी श्रीडूंगरगढ़ के लोगों के दिलों में ताजा हैं। यह श्रद्धांजलि सभा इस बात का प्रमाण थी कि एक नेता अपने कार्यों और विचारों से किस प्रकार लोगों के दिलों में हमेशा के लिए जीवित रह सकता है।