कार्यक्रम में अपने ओजस्वी विचारों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते हुए महंत व विधायक प्रतापपुरी जी महाराज ने कहा, “सौभाग्य से इंसान बनते हैं और परम सौभाग्य से क्षत्रिय। ऐसे में, इस क्षात्र धर्म को सार्थक करना हमारा कर्तव्य है।” उन्होंने वर्तमान जीवन को इतिहास बनाने वाला बताते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनने का आह्वान किया। महाराज जी ने युवाओं को संगठित होकर जागने और इस युग को स्वर्णिम बनाने का संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने सनातन धर्म और भारत माता की जयकार के साथ अपनी बात समाप्त की।
स्वामी जी ने उपस्थित जनसमूह को न रुकने, न झुकने, न बिकने और न ही बंटने की प्रेरणा दी। उन्होंने वैचारिक क्रांति के इस दौर में राष्ट्रभक्ति और समाज हित के सांस्कृतिक विचारों को अपनाने पर बल दिया।
मुख्य वक्ता लक्ष्मणसिंह बेण्याकाबास ने वीर दुर्गादास राठौड़ को केवल दाता, शूरवीर या स्वामीभक्ति के लिए नहीं, बल्कि एक क्षत्रिय के रूप में सम्मानित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि राजपूत एक जाति है, लेकिन क्षत्रिय बनना पड़ता है। क्षत्रिय के गुणों – शूरवीरता, तेज, धैर्य, दक्षता, युद्ध परायणता, दान और ईश्वरीय भाव की निरंतर साधना से ही क्षत्रियत्व प्राप्त होता है। उन्होंने युवाओं से महापुरुषों से प्रेरणा लेकर क्षत्रिय बनने और जयंती समारोह को सार्थक करने का आह्वान किया। उन्होंने आगे कहा कि मान बिंदुओं के लिए गर्दन कटाने वाले क्षत्रिय देवता बन गए। अब वैसी आवश्यकताएं नहीं हैं, लेकिन ईश्वरीय भाव से पुरुषार्थ करना चाहिए। जाति या वर्ण में न बंटकर क्षात्र धर्म का वरण करने वाला ही सच्चा क्षत्रिय है और इसी भावना से क्षत्रिय युवक संघ का निर्माण हुआ है।
विश्वकर्मा कौशल बोर्ड के अध्यक्ष रामगोपाल सुथार ने वीर दुर्गादास राठौड़ से प्रेरणा लेकर देश और समाज के प्रति स्वामीभक्ति रखने की बात कही। वरिष्ठ स्वयंसेवक जोरावर सिंह ने संगठन के माध्यम से मातृशक्ति को सक्रिय करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि माता ही निर्माता है और ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए महिलाओं से समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने की अपील की। उन्होंने सभी महापुरुषों को महान बनाने वाली माताओं का स्मरण करते हुए दुर्गादास जी के जीवन पर प्रकाश डाला।
समारोह की शुरुआत वीर दुर्गादास राठौड़ के पूजन और दीप प्रज्ज्वलन से हुई। इसके पश्चात संघ प्रार्थना की गई और भागीरथसिंह सेरूणा ने संघ गीत की प्रस्तुति दी। वक्ताओं ने अपने ओजस्वी विचारों से श्रोताओं को प्रेरित किया।
कार्यक्रम में संघ के बीकानेर प्रांत प्रमुख जुगलसिंह बेलासर, नोखा व कोलायत प्रांत प्रमुख राजेन्द्रसिंह आलसर, वरिष्ठ स्वयंसेवक उम्मेद सिंह सुलताना, हड़वंतसिंह आशापुरा, श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन से विक्रम सिंह सत्तासर, यशवंत सिंह मिंगसरिया, श्रीडूंगरगढ़ प्रांत प्रमुख जेठूसिंह पुन्दलसर सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। पालिकाध्यक्ष मानमल शर्मा, भाजपा ओबीसी मोर्चा के देहात जिलाध्यक्ष विनोद गिरी गुंसाई, पूर्व प्रधान छैलूसिंह शेखावत, एडवोकेट भरतसिंह राठौड़, विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष जगदीश स्वामी, सेवादल कांग्रेस के संभाग प्रभारी विमल भाटी, तुलसीराम चौरड़िया, सत्यनारायण स्वामी, एडवोकेट रणवीरसिंह खीची, महावीर माली, श्याम सुंदर स्वामी, नत्थूनाथ मंडा, साहित्यकार श्याम महर्षि, एडवोकेट सत्यनारायण प्रजापत, थानमल भाटी, सोहनलाल ओझा, शिव तावनियां, श्यामसुंदर पुरोहित, भाजपा जिला मंत्री भरत सुथार, पार्षद लोकेश गौड़, पृथ्वीसिंह राजपुरोहित, पूर्व सरपंच समुद्र सिंह, रतनसिंह राठौड़, सरपंच प्रतिनिधि एडवोकेट रणवीर सिंह सेरुना, विक्रम सिंह शेखावत, भंवरसिंह झंझेऊ, अगरसिंह कोटासर, पूर्व पालिकाध्यक्ष नारायण मोट, अरुण पारीक, भंवरलाल बाना सहित विभिन्न जाति वर्ग के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
इस समारोह ने वीर दुर्गादास राठौड़ के जीवन और आदर्शों को स्मरण करते हुए क्षात्र धर्म के महत्व को रेखांकित किया और समाज को एकजुट होकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।