ट्रंप ने टैरिफ़ को बनाया हथियार, चीन पर सीधा प्रहार – बढ़ेगा व्यापारिक तनाव
श्री डूंगरगढ़ टुडे, 7 अप्रैल 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक नई टैरिफ नीति की घोषणा करते हुए अमेरिका के सभी प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर आयात शुल्क लगाने का एलान किया। अपने भाषण में ट्रंप ने चीन को खासतौर पर निशाने पर लिया और सीधे तौर पर आरोप लगाया कि चीन लंबे समय से अमेरिका का फायदा उठा रहा है।
“मैं राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इज्जत करता हूं, लेकिन चीन अमेरिका से अत्यधिक फायदा उठा रहा है,” ट्रंप ने कहा। उन्होंने एक चार्ट दिखाते हुए दावा किया कि चीन ने 67 फीसदी तक टैरिफ लगाकर अमेरिकी सामान के व्यापार में बाधाएं खड़ी की हैं। वहीं अमेरिका केवल 34 फीसदी टैरिफ लगा रहा है।
ट्रंप के इस ऐलान के बाद चीन की प्रतिक्रिया भी तीखी रही। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने इसे ‘एकतरफा धमकी’ बताया और कहा कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने ट्रंप पर व्यापार को ‘जैसे को तैसा’ के खेल में बदलने का आरोप लगाया।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के पास निराश होने के कई कारण हैं। नए ऐलान के तहत चीन की वस्तुओं पर पहले से लागू टैरिफ के अलावा 20 फीसदी अतिरिक्त शुल्क भी लगाया गया है। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों जैसे कंबोडिया, वियतनाम और लाओस पर भी भारी टैरिफ लगाकर चीन के विकल्प तलाशने के रास्ते भी बंद कर दिए हैं।
5 अप्रैल से अमेरिका में 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ लागू हो गया है, जबकि 9 अप्रैल से अमेरिका के बड़े व्यापारिक साझेदारों पर उच्च आयात शुल्क भी प्रभावी हो जाएगा। व्हाइट हाउस में दोबारा लौटने के बाद ट्रंप ने चीन से आयात पर पहले ही नए टैरिफ लगाए थे, जिन्हें अब 20 प्रतिशत और बढ़ा दिया गया है। आने वाले एक हफ्ते में ये शुल्क 54 प्रतिशत तक पहुंच सकते हैं।

इसी दिन ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर भी हस्ताक्षर किए, जिससे चीन से आने वाले 800 डॉलर तक के कम मूल्य वाले पार्सल को टैक्स फ्री भेजने की छूट खत्म कर दी गई है। इस फैसले से चीन की ई-कॉमर्स कंपनियों शीन और टेमू पर असर पड़ सकता है, जिन्हें अब अमेरिकी ग्राहकों से अतिरिक्त शुल्क लेना होगा।
हीनरीच फाउंडेशन की विशेषज्ञ डेबरा एम्स कहती हैं, “टैरिफ सिर्फ चीन पर ही नहीं लगाए गए हैं, लेकिन जिस पैमाने पर चीन को निशाना बनाया गया है, वो चौंकाने वाला है।”
उन्होंने आगे कहा, “चीन चुप नहीं बैठेगा, उसे जवाब देना होगा।”
इस पूरे घटनाक्रम का असर सिर्फ अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं रहेगा। व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को भी प्रभावित करेगा और अन्य देशों को भी अपने व्यापारिक समीकरणों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
अब निगाहें बीजिंग पर टिकी हैं — क्या चीन पलटवार करेगा या कूटनीतिक समाधान की ओर कदम बढ़ाएगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।