श्रीडूंगरगढ़ से आज, 13 अगस्त 2025 को प्राप्त पंचांग के अनुसार, आज तिथि चतुर्थी है, जो सुबह 6 बजकर 38 मिनट तक रहेगी, तत्पश्चात पंचमी तिथि का आरम्भ होगा। नक्षत्र उत्तराभाद्रपद है, जो सुबह 10 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। करण बालव है, जो सुबह 6 बजकर 38 मिनट तक रहेगा, उसके बाद कौलव करण लगेगा। पक्ष कृष्ण है और योग धृति दोपहर 4 बजकर 5 मिनट तक रहेगा। आज बुधवार है।
आज सूर्योदय सुबह 6 बजकर 2 मिनट पर हुआ और सूर्यास्त शाम 7 बजकर 14 मिनट पर होगा। चंद्रोदय रात्रि 9 बजकर 45 मिनट पर होगा और चंद्रास्त अगले दिन सुबह 9 बजकर 54 मिनट पर होगा। चन्द्र राशि मीन है और चन्द्र वास उत्तर दिशा में है। ऋतु वर्षा है।
हिन्दू मास एवं वर्ष की बात करें तो शक सम्वत 1947 विश्वावसु है, काली सम्वत 5126 है और विक्रम सम्वत 2082 है। मास अमांत श्रावण है और मास पूर्णिमांत भाद्रपद है। आज का दिन काल 13 घंटे, 12 मिनट और 26 सेकंड का है।
पंचांग में शुभ और अशुभ समय का भी विवरण दिया गया है। अभिजीत मुहूर्त आज उपलब्ध नहीं है। दुष्टमुहूर्त दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से दोपहर 1 बजकर 5 मिनट तक रहेगा। कंटक मुहूर्त शाम 5 बजकर 29 मिनट से शाम 6 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। यमघण्ट सुबह 8 बजकर 40 मिनट से सुबह 9 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। राहु काल दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से दोपहर 2 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। कुलिक काल दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से दोपहर 1 बजकर 5 मिनट तक रहेगा। कालवेला/अर्द्धयाम सुबह 6 बजकर 55 मिनट से सुबह 7 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। यमगण्ड सुबह 7 बजकर 41 मिनट से सुबह 9 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। गुलिक काल सुबह 10 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। दिशा शूल उत्तर दिशा में है।
ताराबल अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्रों के लिए शुभ है। चन्द्रबल वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और मीन राशियों के लिए शुभ है।
पंचांग में चोघड़िया, लग्न तालिका और अन्य शुभ-अशुभ मुहूर्तों का भी विवरण दिया गया है।
पण्डित विष्णुदत्त शास्त्री के अनुसार, बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही, बुधवार को सभी ग्रहों के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है और धन लाभ होता है।
यह पंचांग श्रीडूंगरगढ़ से प्राप्त हुआ है और यह विभिन्न धार्मिक और ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य लोगों को दिन के शुभ और अशुभ समय के बारे में जानकारी देना है, ताकि वे अपने कार्यों को उसी अनुसार नियोजित कर सकें।