श्रीडूंगरगढ़, 15 अगस्त, 2025। स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर, श्रीडूंगरगढ़ की एक प्रमुख संस्था, नागरिक विकास परिषद ने नगर के एनवीपी भवन, आडसर बास में एक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया। यह शिविर, मानो स्वतंत्रता के साथ-साथ जीवन की भी जय-जयकार करने का एक विनम्र प्रयास था।
बीकानेर के पीबीएम अस्पताल से आई डॉ. कुलदीप नेहरा की टीम ने रक्त संग्रहण की सभी आवश्यक व्यवस्थाएँ संभालीं। एक सुव्यवस्थित तरीके से रक्तदाताओं के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ भारती और स्व. मोतीलाल तापड़िया की तस्वीरों के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और पुष्प अर्पण के साथ हुआ। यह एक ऐसा दृश्य था, जो अतीत के प्रति सम्मान और भविष्य के प्रति आशा का प्रतीक था। चिकित्सक डॉ. राजकुमार ने रक्तदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह न केवल जरूरतमंदों की मदद करता है, बल्कि रक्तदाता के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। उनके शब्दों ने रक्तदान के प्रति लोगों की धारणा को और भी मजबूत किया।
वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कुमार करनाणी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। मंच पर विराजमान अतिथियों को रमेश प्रजापत, श्रवण कुमार गुरनानी, श्रीगोपाल राठी और तुलसीराम चौरड़िया ने माल्यार्पण कर सम्मानित किया। यह सम्मान, समाज के प्रति उनके योगदान को रेखांकित करता है।
शिविर प्रभारी रमेश कुमार प्रजापत ने जानकारी दी कि 114 रक्तदाताओं ने पंजीकरण कराया, जिनमें से 100 रक्तदाताओं ने चिकित्सीय जांच के बाद रक्तदान किया। यह संख्या दर्शाती है कि लोग इस नेक कार्य के लिए कितने तत्पर हैं। परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीगोपाल राठी ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
परिषद के उपाध्यक्ष विजयराज सेवग ने कहा कि परिषद का उद्देश्य सेवा के माध्यम से विकास करना है। उन्होंने बताया कि यह परिषद का 41वां रक्तदान शिविर है। परिषद के अध्यक्ष जगदीश प्रसाद स्वामी ने लक्ष्मीदेवी मोतीलाल तापड़िया चैरिटेबल ट्रस्ट, मुंबई के सहयोग के प्रति आभार व्यक्त करते हुए बताया कि स्व. मोतीलाल तापड़िया की स्मृति में यह तीसरा रक्तदान शिविर आयोजित किया गया।
शिविर में सत्यनारायण स्वामी, रणवीर सिंह एडवोकेट, संजय करवा, राधेश्याम तापड़िया, सूर्यप्रकाश तापड़िया, दुर्गाराम गोदारा, रामगोपाल प्रजापत, नंदकिशोर राठी, लक्ष्य प्रजापत, रमाकांत झंवर, और ओमप्रकाश स्वामी सहित अनेक स्वयंसेवकों ने अपनी सेवाएं दीं। उनका योगदान, शिविर को सफल बनाने में महत्वपूर्ण रहा। यह शिविर, श्रीडूंगरगढ़ के लोगों के सेवाभाव और एकजुटता का एक सुंदर उदाहरण था।