कार्यक्रम की शुरुआत ज्ञानार्थी माहीका, दिव्यांश, युवराज और करिश्मा द्वारा मंगलाचरण से हुई। इसके बाद मन्नत चौपड़ा ने कविता पाठ किया और युवराज चौपड़ा ने ज्ञानशाला के महत्व पर भाषण दिया।
ज्ञानार्थियों ने व्यसनमुक्ति और धर्म के मार्ग पर चलने का संदेश देते हुए एक नृत्य भी प्रस्तुत किया। प्रशिक्षिका कांता जैन ने ज्ञानशाला की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें साल भर की गतिविधियों और उपलब्धियों का विवरण दिया गया।
साध्वी डॉ. परमप्रभा ने अपने संबोधन में कहा कि गुरुदेव तुलसी की प्रेरणा से स्थापित ज्ञानशालाएं देश-विदेश में संस्कारों का संचार कर रही हैं। साध्वी संगीतश्री ने बच्चों को कोरा कागज बताते हुए कहा कि उन्हें जैसे संस्कार दिए जाएंगे, उनका व्यक्तित्व वैसा ही बनेगा। उन्होंने बच्चों को अच्छे संस्कार देने के महत्व पर जोर दिया।
कार्यक्रम में तेरापंथी सभा, महिला मंडल, युवक परिषद, कन्या मंडल, किशोर मंडल के पदाधिकारियों के साथ-साथ जैन विश्व भारती मान्य विश्वविद्यालय लाडनूं के कुलपति बच्छराज दुगड़ और समाज के अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। प्रशिक्षिका नीतू बोथरा ने कार्यक्रम का संचालन किया।