अकादमी के सचिव के. श्रीनिवास राव ने बताया कि इस सेमिनार का शुभारंभ 18 अगस्त को प्रात: 10:30 बजे होगा। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता राजस्थानी भाषा के जाने-माने कवि और आलोचक डॉ. अर्जुन देव चारण करेंगे। समारोह में एस.पी. व्यास, जो जय नारायण व्यास विद्यालय, जोधपुर के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के अध्ययन केंद्र की निदेशक दीपिका विजयवर्गीय विशिष्ट अतिथि के रूप में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराएंगी।
पहले दिन के कार्यक्रम में दो महत्वपूर्ण सत्र होंगे। पहला सत्र शंकरदान सामौर के व्यक्तित्व पर केंद्रित होगा, जिसकी अध्यक्षता पृथ्वीराज रतनू करेंगे। इस सत्र में निकिता शेखावत और हेमेंद्र सिंह अपने विचार और शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। दूसरा सत्र सामौर जी के कृतित्व यानी उनकी रचनाओं पर आधारित होगा, जिसकी अध्यक्षता बुलाकी शर्मा करेंगे। नगेन्द्र नारायण किराडू और डॉ. संजू श्रीमाली इस सत्र में पत्र वाचन करेंगे।
19 अगस्त को, “शंकरदान सामौर के कृतित्व” विषय पर एक और सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित करेंगे। इस सत्र में डॉ. रेणुका व्यास नीलम और डॉ. गौरीशंकर प्रजापत अपने शोध पत्रों से सामौर जी की रचनाओं के विभिन्न पहलुओं को उजागर करेंगे। इसके बाद “शंकरदान सामौर के ऐतिहासिक पक्ष” पर एक सत्र होगा, जिसकी अध्यक्षता डॉ. मंजुला बारठ करेंगी। राजेन्द्र जोशी और गोविन्द गौरवसिंह इस सत्र में अपने विचार व्यक्त करेंगे।
सेमिनार का समापन सत्र 19 अगस्त को दोपहर तीन बजे आयोजित किया जाएगा। इस सत्र में डॉ. भंवरसिंह सामौर मुख्य अतिथि होंगे, जबकि मधु आचार्य “आशावादी” अध्यक्षता करेंगे और डॉ. लक्ष्मीकांत व्यास विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।
इसके अतिरिक्त, उसी दिन साढ़े चार बजे साहित्य मंच में “राजस्थानी में 21वीं सदी का महिला लेखन” विषय पर डॉ. गीता सामौर का विशेष व्याख्यान होगा, जो निश्चित रूप से साहित्य प्रेमियों को नई दिशा देगा।
यह सेमिनार शंकरदान सामौर के जीवन और कृतित्व को याद करने और राजस्थानी साहित्य के प्रति नई पीढ़ी को प्रेरित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह एक ऐसा साहित्यिक आयोजन है जो बीकानेर की धरती को ज्ञान और कला के रंग से सराबोर कर देगा।