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योगेंद्र यादव ने पेश किए दो ‘मृत’ घोषित मतदाता, चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप
 |  महिलाओं ने अखंड सौभाग्य की कामना के साथ किया विधि विधान तीज माता का पूजन, हुए सामूहिक पूजन के आयोजन।  |  क्षेत्र में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई कजरी तीज  | 

बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट में हंगामा

योगेंद्र यादव ने पेश किए दो ‘मृत’ घोषित मतदाता, चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप

नई दिल्ली, 12 अगस्त 2025 —
बिहार में चुनाव आयोग द्वारा जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को जोरदार बहस हुई। राजनीतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने अदालत में दो ऐसे लोगों को पेश किया, जिन्हें चुनाव आयोग की मसौदा मतदाता सूची में “मृत” घोषित कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह संभवतः “अनजाने में हुई त्रुटि” हो सकती है, जिसे सुधारा जा सकता है। आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि “नाटकीय प्रदर्शन” करने की बजाय, प्रभावित लोगों की प्रविष्टियां ठीक करवाई जाएं।




31 लाख महिलाएं सूची से बाहर

यादव ने दावा किया कि अब तक 31 लाख महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। उनके अनुसार, यदि प्रवास और मृत्यु इसके मुख्य कारण हैं, तो पुरुषों की संख्या अधिक होनी चाहिए थी, क्योंकि महिलाएं अकेले कम ही राज्य से बाहर जाती हैं और उनकी मृत्यु दर भी अधिक नहीं है।

> “हम शायद मताधिकार से वंचित करने का दुनिया का सबसे बड़ा अभियान देख रहे हैं… आंकड़ा एक करोड़ पार कर सकता है। यह सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार में ऐतिहासिक बदलाव है, जहां जिम्मेदारी राज्य से व्यक्ति पर डाल दी गई है।” — योगेंद्र यादव






BLO के ‘नाम न सुझाने’ के अधिकार पर सवाल

यादव ने बूथ-स्तरीय अधिकारियों (BLO) के उस अधिकार पर सवाल उठाया, जिसके तहत वे किसी मतदाता के नाम की ‘सिफारिश न करने’ का विकल्प रखते हैं।
उन्होंने बताया कि दो जिलों में क्रमशः 10.6% और 12.6% नाम BLO द्वारा सिफारिश नहीं किए गए, लेकिन राज्यभर का आंकड़ा चुनाव आयोग ने अदालत में पेश नहीं किया।




‘प्रेस विज्ञप्ति से आदेश बदलना’ कानूनी नहीं

यादव ने गंभीर आरोप लगाया कि SIR आदेश में कई बदलाव केवल प्रेस विज्ञप्तियों के जरिए किए गए।
उन्होंने कहा, “पहले आदेश में कहा गया था कि यदि कोई 2003 की सूची में नहीं है, तो उसे अपने और माता-पिता के प्रमाण पत्र देने होंगे। फिर प्रेस नोट में कहा गया कि यदि माता-पिता सूची में थे, तो उनका प्रमाण पत्र जरूरी नहीं। अब सुन रहे हैं कि अपना प्रमाण पत्र भी देना जरूरी नहीं। यह आदेश में नहीं लिखा था — कानूनी आदेश ऐसे नहीं बदले जाते।”




समय-सीमा और अपील पर संशय

यादव के मुताबिक, 7.24 करोड़ फार्म की जांच के लिए AERO को रोज़ाना 3000 और ERO को 4678 फार्म प्रतिदिन देखने होंगे, साथ ही 800 संदिग्ध मामलों की जांच और बाढ़ संकट का प्रबंधन भी करना होगा।
उन्होंने चेताया कि यदि अंतिम सूची 30 सितंबर को फ्रीज हो जाएगी, तो 25 सितंबर को नाम कटने की सूचना मिलने पर कोई उम्मीदवार अपील कैसे कर पाएगा?

> “यह किसी भी प्रतिद्वंद्वी को चुनाव से बाहर करने का सबसे आसान तरीका है।” — योगेंद्र यादव






अगली सुनवाई आज

मामले की सुनवाई आज यानी 13 अगस्त 2025 को भी जारी रहेगी।

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