जनगणना निदेशक बिष्णु चरण मल्लिक ने जयपुर स्थित क्षेत्रीय निदेशालय में जानकारी देते हुए बताया कि जनगणना की प्रक्रिया 1 जनवरी, 2026 से शुरू होकर 31 मार्च, 2027 तक चलेगी। इस बार जनगणना में जातिगत आंकड़े भी शामिल किए जाएंगे, जो सामाजिक और आर्थिक नीतियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
जनगणना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में, अप्रैल से सितंबर 2026 तक मकानों की सूची तैयार की जाएगी और उनकी गणना की जाएगी। दूसरे चरण में, 9 से 20 फरवरी, 2027 तक जनसंख्या की गणना होगी। बेघर लोगों की गिनती 28 फरवरी, 2027 को की जाएगी। नियमानुसार, जो लोग छह महीने से अधिक समय से किसी क्षेत्र में रह रहे हैं, उनकी गणना उसी क्षेत्र में की जाएगी।
इस विशाल कार्य को संपन्न करने के लिए दो लाख से अधिक कर्मचारियों और अधिकारियों को नियुक्त किया जाएगा। लगभग 1.50 लाख प्रगणक घर-घर जाकर लोगों से जानकारी एकत्र करेंगे। इनके अलावा, 30-40 हजार सुपरवाइजर और अन्य अधिकारी भी इस प्रक्रिया में शामिल होंगे। ज्यादातर शिक्षक और स्थानीय निकाय के कर्मचारी इस कार्य में लगाए जाएंगे। जनगणना प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए 1 जनवरी, 2026 से 31 मार्च, 2027 तक इन कर्मचारियों के तबादलों पर रोक रहेगी।
जनगणना की अवधि में प्रशासनिक सीमाओं में स्थिरता बनाए रखने के लिए वार्ड, गांव, तहसील, उपखंड और जिलों की सीमाओं में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इस दौरान नई प्रशासनिक इकाइयां भी नहीं बन सकेंगी, जिससे आंकड़ों के संकलन और विश्लेषण में सुगमता रहे।
डिजिटल माध्यम से होने वाली इस जनगणना में मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल का उपयोग किया जाएगा, जिससे डेटा एंट्री में आसानी होगी। डिजिटल मानचित्रों की सुविधा भी उपलब्ध होगी। किस कर्मचारी ने कितने घरों का सर्वेक्षण किया और कितने लोगों का ब्यौरा भरा, इसकी रियल टाइम मॉनिटरिंग की जाएगी। अधिकारियों का मानना है कि डिजिटल माध्यम से जनगणना में सटीकता बढ़ेगी और गलतियों की संभावना कम होगी। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो देश को अधिक सटीक और विश्वसनीय आंकड़े प्रदान करने में सहायक होगा।