प्रोफेसर ज्याणी, जो डूंगर कॉलेज बीकानेर में कार्यरत हैं और चक 12 टी के निवासी हैं, ने शिक्षा को समाज और पर्यावरण से जोड़ते हुए वृक्षों को परिवार का हिस्सा मानने की सांस्कृतिक अवधारणा को बढ़ावा दिया है। उनके नेतृत्व में ‘पारिवारिक वानिकी’ की अवधारणा के माध्यम से राजस्थान, भारत और विदेशों में लाखों परिवारों और संस्थानों ने वृक्षारोपण को अपनाया है। भूमि संरक्षण में उनके योगदान के लिए संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें ‘लैंड फॉर लाइफ अवॉर्ड’ से सम्मानित किया है।
राजकीय डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर के प्राचार्य प्रो. राजेन्द्र पुरोहित ने इस आमंत्रण पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह न केवल प्रो. ज्याणी के व्यक्तिगत योगदान का सम्मान है, बल्कि महाविद्यालय और पूरे बीकानेर क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है। प्रो. विक्रमजीत, वरिष्ठ संकाय सदस्य एवं फैमिलियल फॉरेस्ट्री डिवीजन के संयोजक ने कहा कि प्रो. ज्याणी द्वारा शुरू की गई पारिवारिक वृक्षारोपण की अवधारणा आज एक वैश्विक उदाहरण बन चुकी है।
प्रो. श्याम सुंदर ज्याणी ने इस अवसर पर कहा कि यह आमंत्रण उन सभी लोगों का सम्मान है जिन्होंने धरती को माता और वृक्षों को परिजन मानते हुए उनकी रक्षा की है। उन्होंने कहा कि यह अवसर हमें याद दिलाता है कि प्रकृति से जुड़कर ही राष्ट्र मजबूत होता है।
प्रोफेसर ज्याणी के पिता, सेवानिवृत्त निरीक्षक के. आर. ज्याणी और पत्नी कविता ज्याणी ने भी इस उपलब्धि पर गर्व और संतोष व्यक्त किया।
देव जसनाथ संस्थागत वन मंडल अध्यक्ष बहादुर मल सिद्ध और वरिष्ठ शिक्षाविद् मोटाराम चौधरी ने प्रो. ज्याणी के प्रयासों की सराहना की और इसे पर्यावरण संरक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान बताया।
उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर ज्याणी अब तक 43 लाख पौधों का रोपण करवा चुके हैं और 208 संस्थागत वन खंड विकसित करवा चुके हैं। उनकी देखरेख में 5 जन पौधशालाओं में प्रतिवर्ष 2 लाख से अधिक पौधे तैयार करके राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में निःशुल्क वितरित किए जाते हैं। वर्तमान में, वे चौधरी चरण सिंह पारिवारिक वानिकी मिशन के तहत एक पेड़ माँ के नाम और हरियालो राजस्थान अभियान के लिए बीकानेर, चूरू और सीकर जिलों में चौधरी चरण सिंह जन पौधशालाओं में 5 लाख सहजन के पौधे विकसित करवा रहे हैं, जिन्हें सितंबर में “घर-घर सहजन अभियान” के माध्यम से बालिकाओं द्वारा अपने-अपने घरों में लगाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, बीकानेर जिले के लूणकरणसर में देव जसनाथ जी की अवतार स्थली डाबला तालाब में प्रोफेसर ज्याणी के नेतृत्व में जसनाथी समुदाय ने अवैध खनन रुकवाकर 84 हेक्टेयर भूमि के पुनरुद्धार और संरक्षण का कार्य किया है, जो सामुदायिक भागीदारी से भूमि बहाली का एक सफल उदाहरण है।