परमहंस संत सोमनाथजी महाराज और महंत भंवरनाथजी के सान्निध्य में आयोजित इस जम्मा में जसनाथी परंपरा के सबद गाए गए और विश्वप्रसिद्ध अग्निनृत्य की प्रस्तुतियां हुईं। श्रद्धालु श्रद्धा और उत्साह से सराबोर होकर गुरु महाराज के जयकारे लगाते रहे। इस दौरान, गुरु महाराज द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प भी दोहराया गया।
इस आयोजन में गांव के हर घर से ग्रामीण शामिल हुए और सामूहिक रूप से गांव की खुशहाली और सुख समृद्धि के लिए प्रार्थनाएं की गईं। जम्मा से पहले हलवा और दाल चावल के सामूहिक भोज का आयोजन हुआ, जिसमें सभी ग्रामीणों ने साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण किया।
ग्रामीणों का कहना है कि नई पीढ़ी में सेवा, भक्ति और गांव की एकता का संदेश देने के लिए ये परंपरागत आयोजन एक दिव्य माध्यम है। यह गांव की समरसता, सामूहिक एकता और परंपराओं की एक अनूठी झलक है।
कार्यक्रम में सहीनाथ ज्याणी, नत्थूनाथ मंडा, लेखनाथ ज्याणी, लूणनाथ ज्याणी, पूर्णनाथ महिया, हुक्माराम ज्याणी, भंवराराम ज्याणी, भंवराराम थाकण, बजरंग लाल पारीक, शेराराम मेघवाल, प्रभूनाथ गोदारा, पूर्णनाथ गोदारा, देवाराम झोरङ, जालाराम मेघवाल, रतनलाल धाडेंवा, भींवाराम ज्याणी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। जम्मा में उमड़ा जनसैलाब इस बात का प्रमाण है कि यह परंपरा आज भी लोगों के दिलों में रची-बसी है और उन्हें एक सूत्र में बांधे हुए है।