प्राप्त जानकारी के अनुसार, 8वीं (शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा) की टॉपर बालिकाओं को पिछले साल 40 हजार रुपये की पुरस्कार राशि मिलती थी, जिसे अब घटाकर 25 हजार रुपये कर दिया गया है। इसी प्रकार, 10वीं और प्रवेशिका में टॉपर को 75 हजार रुपये के स्थान पर 50 हजार रुपये तथा 12वीं और वरिष्ठ उपाध्याय में 1 लाख रुपये और स्कूटी के स्थान पर केवल 75 हजार रुपये की सहायता दी जाएगी। स्कूटी योजना को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
इसके अतिरिक्त, सरकार ने योजना का नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी अवार्ड से बदलकर पद्माक्षी योजना कर दिया है और कार्यक्रम की तिथि 19 नवंबर से बदलकर बसंत पंचमी कर दी है।
इन बदलावों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, क्षेत्र के शिक्षाविदों ने निराशा जताई है। उनका कहना है कि यह बालिकाओं के लिए अन्यायपूर्ण है और उनके शिक्षण को प्रभावित कर सकता है। कुछ नागरिकों ने “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के नारे के साथ सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि एक तरफ सरकार बेटियों को बचाने और पढ़ाने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ उनके पुरस्कारों में कटौती कर रही है।
मोमासर के पवन सैनी जैसे बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के प्रयासों में जुटे नागरिकों ने भी रोष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि इन बदलावों से बड़ी संख्या में बालिकाएं निराश होंगी। लोगों का यह भी आरोप है कि सरकारें अपने हिसाब से योजनाओं के नाम और तिथियां बदलती रही हैं, लेकिन पुरस्कार राशि कम करना और स्कूटी बंद करना समाज में बालिका शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
हालांकि, सरकार की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन उम्मीद है कि सरकार इस मुद्दे पर विचार करेगी और बालिकाओं के हित में उचित निर्णय लेगी।