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लोढ़ेरा गांव बना सामूहिक भागीदारी का प्रेरणास्रोत, गुसाईंसर में हुआ समारोह में हुआ आयोजन

इस कार्यक्रम के दौरान, “घर-घर सहजन अभियान” के तहत पूरे गांव की महिलाओं और बच्चों को देव जसनाथ पारिवारिक वानिकी जन पौधशाला में विकसित सहजन (मोरिंगा) के पौधे वितरित किए गए। प्रो. ज्याणी ने बताया कि इन पौधों को “जसनाथ रूँख प्रसाद” के रूप में वितरित किया गया, जिससे वृक्षारोपण को केवल एक पर्यावरणीय कार्य नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कर्तव्य के रूप में भी प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष के पारिवारिक वानिकी दिवस की थीम “एक पेड़ माँ के नाम” थी।

प्रो. ज्याणी ने लोढ़ेरा के ग्रामीणों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ग्रामीणों ने पर्यावरण संरक्षण को एक आंदोलन का रूप दिया है, जहाँ प्रकृति के प्रति आस्था, सामाजिक एकता और वैज्ञानिक सोच का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है।

कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों के साथ भूमि संरक्षण, पारिस्थितिकीय संतुलन, जल संरक्षण और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर सार्थक संवाद हुआ। मोमासर निवासी प्रह्लाद भामू ने “आपणी ढाणी” में “चौधरी चरण सिंह जन पौधशाला” विकसित करने का संकल्प लिया और क्षेत्र के प्रत्येक युवा से इस आंदोलन से जुड़ने की अपील की।

सोमवार को ही, गुसाईंसर बड़ा गांव में पारिवारिक वानिकी मिशन के तहत राउमावि में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। स्थानीय महिलाओं और बालिकाओं की उपस्थिति में 500 स्थानीय प्रजाति के पौधों का वितरण किया गया।

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता सरपंच सत्यनारायण सारस्वत ने की। मुख्य वक्ता प्रो. ज्याणी ने जाल, कूमट, सहजन, बरगद, पीपल जैसे वृक्षों को वर्तमान पर्यावरणीय संकट के चलते बीजारोपण और वृक्षारोपण के जरिए बचाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने किसान वर्ग को रासायनिकों के गैर जरूरी छिड़काव से बचने की सलाह दी और प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होने का आह्वान किया। संस्था प्रधान कैलाशचंद्र शर्मा ने घरेलू चर्चा में पर्यावरण को शामिल करने की बात कही। कार्यक्रम में पौधरोपण की वैज्ञानिक प्रक्रिया भी समझाई गई।

छैलूदान चारण, कमलकिशोर पिपलवा, गौरव ढ़ाका, भंवरलाल जाखड़, मंजूलता, रोहिताश सैनी, टालीराम सारस्वत, श्रवणराम सारस्वत, श्यामसुंदर शर्मा, जैसाराम खाती और टीकूराम गोदारा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। मंच संचालन कवि साहित्यकार कमलकिशोर पिपलवा ने किया। बालिकाओं, महिलाओं, विद्यार्थियों और ग्रामीणों ने पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भागीदारी निभाने का संकल्प लिया।

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